गुरुवार, 23 फ़रवरी 2017
राष्ट्रीय संगोष्ठी / National Conference
पी जी डी ए वी कॉलेज (सांध्य), दिल्ली विश्वविद्यालय और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के संयुक्त तत्वावधान में दो दिवसीय राष्ट्रिय संगोष्ठी
विषय : स्वातंत्र्योतर हिंदी कविता : नए रचनात्मक सरोकार
सत्र 1:स्वतंत्रता के बाद का परिवेश और हिंदी कविता
मुख्य बिंदु :
# भारत की स्वतंत्रता और मोहभंग की स्थिति
# विकास और आपातकाल के दौर
सत्र 2: विभिन्न कविता आंदोलन बनाम नए सन्दर्भ
मुख्य बिंदु :
# आंदोलनों की अनिवार्यता
# परम्परा और प्रयोग के समानांतर उठते स्वर
# हिंदी कविता : नए रचनात्मक हस्तक्षेप
सत्र 3: नवगीत और यथार्थ का संस्पर्श
मुख्य बिंदु :
# कल्पना और यथार्थ अभिव्यक्ति
# परंपरा और यथार्थ का समन्वय
# उत्तर आधुनिक समाज और नवगीत
सत्र 4: वैश्वीकरण और युवा कविता का स्वर
मुख्य बिंदु :
# प्रवासी हिंदी कविता
# नए वैचारिक बोध और युवा
# लोकप्रिय बनाम पठनीय कविता
# सोशल मीडिया की कविता और भाषा
कुछ संभावित विषय
1॰ विभिन्न कविता आन्दोलनों की अनिवार्यता और अवधारणात्मकता
2॰ परम्परा और प्रयोग के समानान्तर उठते स्वर
3॰ साठोत्तर हिन्दी कविता : गाँव और शहर का द्वंद्व
4॰ स्वातंत्र्योत्तर हिन्दी कविता और दलित विमर्श
5॰ आदिवासी अस्मिता और स्वातंत्र्योत्तर हिन्दी कविता
6॰ स्वातंत्र्योत्तर हिन्दी कविता में राजनीतिक विमर्श
7. स्वातंत्र्योत्तर हिंदी कविता में राष्ट्रीयता की प्रखर ध्वनि
8. राष्ट्रवाद और समकालीन हिंदी कविता
9. स्वातंत्र्योत्तर हिंदी कविता में भारतीय संस्कृति
10॰ आपातकाल और हिन्दी कविता
11॰ स्त्री-पुरुष सम्बन्धों के वृत्त और स्वातंत्र्योत्तर हिन्दी कविता
12. स्त्री अस्मिता केन्दि्रत समकालीन हिन्दी कविता
13॰ दलित अस्मिता केन्दि्रत समकालीन हिन्दी कविता
14॰ आदिवासी अस्मिता केन्दि्रत समकालीन हिन्दी कविता
15॰ समकालीन हिन्दी कविता में दिव्यांग विमर्श
16. समकालीन कविता : नए विमर्श
17. स्वातंत्र्योत्तर हिंदी कविता में पर्यावरणीय संवेदना
18॰ स्त्री अस्मिता केंद्रित समकालीन हिंदी कविता
19. समकालीन हिन्दी कविता में तनाव
20॰ समकालीन हिन्दी कविता में विसंगति बोध
21॰ स्वातंत्र्योत्तर भारतीय परिवेश और नवगीत
22. संवाद के भीतर का संवाद : लम्बी कविता
23. नवगीत : कल्पना और यथार्थ का संस्पर्श
24. उत्तरआधुनिक समाज और नवगीत
25. नवगीत में परम्परा और प्रयोग का सामंजस्य
26. प्रवासी हिंदी कविता और स्वतंत्र भारत की चेतना
27. वैश्विक चेतना और हिन्दी कविता (प्रवासी कविता के संदर्भ में)
28. वैश्विक हिंदी कविता और भारतीय संस्कृति
29. प्रवासी हिन्दी कविता और भारतीय संस्कृति
30. नई प्रवासी पीढ़ी और हिन्दी कविता
31. सोशल मीडिया की कविता और भाषा
32. अंजान चेहरों की दुनिया और फेसबुक की कविता
33. वैश्वीकरण और युवा हिन्दी कविता
34. नए वैचारिक बोध और युवा कविता का स्वर
35. लोकपि्रय बनाम पठनीय कविता का आलोचनात्मक परिदृश्य
36. साठोत्तरी/समकालीन कविता : भाषा का नया तेवर
37. इक्कीसवीं सदी की कविता : राष्ट्रीय चेतना की अभिव्यक्ति
38. मंचीय कविता का सौन्दर्य बोध
39. स्वातंत्र्योत्तर हिंदी कविता : नए मूल्य
40. स्वातंत्र्योत्तर हिंदी कविता : विस्थापन का दंश
41. साठोत्तरी हिंदी कविता : नयी संरचना
42॰ स्वातंत्र्योत्तर महिला कवयित्रियों की कविताओं में स्त्री विमर्श
43. स्वातंत्र्योत्तर पुरुष कवियों की कविताओं में स्त्री विमर्श
44. स्वातंत्र्योत्तर हिंदी कविता : नयी कथ्य भंगिमाएं
45. स्वातंत्र्योत्तर हिंदी कविता और समकालीन जीवन बोध
46. इक्कीसवी सदी की हिंदी कविता
लेखक मुख्य विषय तथा सत्र के विषयों से सम्बंधित अन्य उपविषयों को केंद्र में रखकर किसी अन्य विषय पर भी अपना आलेख लिख सकते हैं।
आप अपने आलेख davseminar@gmail.com अथवा arora7300@ymail.com पर 15 मार्च 2017 तक कृतिदेव, वॉकमैन चाणक्य 901-905 अथवा यूनिकोड में वर्ड फ़ाइल में भेज सकते हैं। आलेख ISBN नंबर अंकित पुस्तक में प्रकाशित होंगे। आलेख कम से कम 2000 शब्दों का होना अनिवार्य है। 15 मार्च तक प्राप्त होने वाले आलेखों का पुस्तक रूप में प्रकाशन किया जायेगा और उसका लोकार्पण संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र में होगा। 15 मार्च के बाद प्राप्त आलेखों का प्रकाशन संगोष्ठी के उपरांत होगा।
संगोष्ठी में भाग लेने के लिए शुल्क
अध्यापक : ₹700/-
शोधार्थी : ₹500/-
विद्यार्थी : ₹300/-
विद्यार्थी यदि अपना आलेख देना चाहते हैं तो उन्हें ₹500/- शुल्क अदा करना होगा।
अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें
डॉ हरीश अरोड़ा
संयोजक
8800660646
9968723222
23 मार्च को प्रातः 9 बजे पंजीकरण होगा।
उपर्युक्त विषयों के अतिरिक्त मुख्य तथा सत्र के विषयों से सम्बन्धित अन्य उपविषयों का निर्धारण अध्यापक स्वयं कर सकते हैं।
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